चुनाव में महिला मतदाताओं की बढ़ती हिस्सेदारी|

 दशकों से, भारत में चुनावों में मतदान करना एक पुरुष - प्रधान कार्य क्षेत्र रहा है। लेकिन अब लगभग पिछले एक दशक से महिला मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। 1960 के दशक में प्रत्येक 1000 पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या 715 थी, यह संख्या 2000 के दशक में प्रत्येक 1000 पुरुष मतदाताओं में 883 महिला मतदाता तक बहुत प्रभावशाली ढंग से बढ़ी।

विशेषज्ञों के अनुसार 2010 के बाद से अब तक महिला मतदाताओं की संख्या में दिन पर दिन बढ़ोतरी देखी जा रही है| हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव, महिला मतदाताओं के प्रदर्शन और शक्ति का एक बेहतर उदाहरण है।

पिछले तीन लोकसभा चुनावों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी का अंतर लगातार कम हुआ है। 2009 के लोकसभा चुनाव में मतदान करने वाले पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी 9% कम थी। 2014 के आम चुनाव में यह अंतर घटकर 4% रह गया, वहीं 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा महज 0.4% रह गया। और कई लोकसभा सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा थी।

चूंकि, महिला वोटर्स की संख्या पुरुष वोटर्स के लगभग बराबर हो रही है इसलिए अब अगर पार्टियों का पैटर्न देखा जाए तो राजनीतिक पार्टियां महिला वोटर्स को लुभाती सी दिखती हैं।

2014 की लोकसभा चुनाव में देश में भाजपा की जीत में महिलाओं का एक अहम योगदान रहा था, जिसके बाद 2019 के आम चुनावों में महिलाओं का मुद्दा चुनावी केंद्र बिंदु में रहा। भारतीय जनता पार्टी ने महिलाओं के अनुकूल नीतियों को एक बड़ा स्थान दिया, जिसके चलते कई तरह की योजनाएं शुरू की गई। उनमें से पीएम उज्जवला योजना, बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं ने महिला वोटर्स को खासा आकर्षित किया।

हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में महिला वोटर्स की संख्या पुरुष वोटर्स से अधिक रही। वहीं, पंजाब, पांच राज्यों में एकमात्र ऐसा राज्य था जहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 0.08% महिला मतदाताओं से अधिक थी।

देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत में महिला वोटर्स का बखूबी योगदान रहा। जिसका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी कई बार अपने भाषण में कर चुके हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा के कुछ वोट मिले और मुस्लिम वोट  भी समाजवादी पार्टी को भाजपा से ज्यादा मिले। लेकिन फिर भी भाजपा की जीत हुई, उसका कारण महिला वोट बैंक ही है। भाजपा और सपा को मिले महिला मतों में 16% का अंतर है, वही दोनों पार्टियों के पुरुष मतों  मे  4% का ही अंतर है। चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य तौर पर पुरुषों द्वारा जाति और धार्मिक आधार पर मतदान करने की अधिक संभावना होती है। वहीं, महिलाएं बड़े पैमाने पर उन मुद्दों पर मतदान करती हैं जिनका उनके जीवन की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जैसी कि भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा। उत्तर प्रदेश का उदाहरण ले तो हम पाएंगे कि वहां यह धारणा है कि भाजपा सरकार अपराधियों पर शक्ति से उतरी है और बेहतर कानून व्यवस्था ने पार्टी को महिलाओं के वोट प्राप्त करने में मदद की है।

पिछले लोकसभा और हाल के विधानसभा चुनाव के अलावा भी पिछले कई चुनावों में यह देखा जाता रहा है कि महिला वोटर्स के समर्थन से कैसे एक पार्टी सत्ता पर काबिज़ होती है।

नीतीश कुमार की पिछले दो दशकों से लगातार बिहार की सत्ता पर बने रहने पर उनका 'डब्लू फैक्टर' यानी 'वुमन फैक्टर' काम कर रहा है। नीतीश सरकार ने यहां 'छात्राओं के बीच साइकिल वितरण' और 2016 में 'शराब बंदी की घोषणा' जैसी योजनाओं द्वारा महिला मतदाताओं को मजबूत किया। नीतीश कुमार की बिहार में लगातार चुनावी जीत के पीछे महिला मतदाताओं को अक्सर "साइलेंट फोर्स" के रूप में देखा जाता है। पिछली विधानसभा चुनाव में इन्हीं साइलेंट वोटर्स की बदौलत ही तमाम एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए नितीश कुमार ने गद्दी बचाने में सफलता पाई थी।

वहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को एक बड़े पैमाने पर महिला वोट बैंक का समर्थन प्राप्त है। तभी वे लगातार तीसरी बार सत्ता पर अपनी पैठ मजबूत बनाई हैं।

चुनाव-दर-चुनाव साबित हो रहा है कि महिलायें सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। वे अपने समर्थन से सत्ता की विसात बदल रहीं हैं। इसलिए ही अब चुनावों के दौरान महिला वोट बैंक अपने नाम करने के लिए सभी राजनीतिक दलो में होड़ रहती है। वहीं दूसरी ओर , राष्ट्रीय और राज्य संस्थान महिलाओं के लिए मतदान को आसान बनाने की कोशिश कर रहीं हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय चुनाव आयोग, मतदाताओं को डराने - धमकाने को कम करने और चुनाव के दौरान महिलाओं की अलग कतारे लगाकर मतदान केंद्रों की सुरक्षा में सुधार करके अधिक से अधिक महिलाओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है।

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